अभी तक हमारे और आपके लिए एफडी, आरडी, सोना, प्रॉपर्टी जैसे निवेश साधनों में पैसा लगाकर पैसा कमाना सबसे आसान और सुरक्षित जरिया रहा है। अगर आप अपने पैसे को निवेश करके और ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं, तो शेयर बाजार आपकी मदद कर सकता है।
कहीं पर भी पैसा लगाकर पैसा कमाने का एक नियम है। जहां पर आप पैसा निवेश करने जा रहे हैं, सबसे पहले उसके बारे में जानिये, फिर उसमें पैसा लगाने के बारे में सोचिये। ऐसा करने पर पैसा लगाने के बाद आपको पछताना नहीं पड़ेगा।
इस लेख में आप शेयर बाजार और उससे कमाई कैसे होती है, इसके बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।
शेयर मार्केट क्या है?
शेयर मार्केट एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां पर कंपनियों के शेयरों या हिस्सों की खरीद-बिक्री होती है। यह पूरी तरह से सरकार और नियामक द्वारा बनाए गए नियमों, कानूनों के जरिये संचालित होती है। किसी भी दूसरे बाजार की तरह शेयर बाजार में भी खरीदने और बेचने वाले एक-दूसरे से मिलते हैं और मोल-भाव कर सौदा पक्का करते हैं।
काफी समय पहले शेयरों की खरीद-बिक्री मौखिक बोलियों से होती थी और खरीदने-बेचने वाले मुंहजबानी ही सौदे किया करते थे। लेकिन अब यह सारा लेन-देन स्टॉक एक्सचेंज के नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटरों के जरिये होता है। इंटरनेट पर भी यह सुविधा मिलती है। आज स्थिति यह है कि खरीदने-बेचने वाले एक-दूसरे को जान भी नहीं पाते। आजकल सभी शेयर डीमटीरिअलाइज़्ड होते है।
सभी कंपनियों को अपना कारोबार करने के लिए काफी पूंजी की जरूरत होती है। कई बार कंपनियों को अपना सामान या अपनी सेवा बेचकर इतना मुनाफा नहीं हो पाता है कि वे अपना कारोबार को बढ़ा सकें। इसलिए, उन्हें हमारे और आप जैसे निवेशकों से पैसों की मदद के लिए शेयर बाजार में आना पड़ता है।
शेयर बाजार में उन कंपनियों को नियम के अनुसार सूचीबद्ध करना होता है। एक तरफ शेयर बाजार में सूचीबद्ध होकर कंपनियां पूंजी जुटाती हैं, वहीं पर हमारे और आपके जैसे निवेशक कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाकर पैसा कमाते हैं। कंपनियों का शेयर खरीदकर निवेशक शेयरों के अनुपात में कंपनी का मालिक बन जाता है।
भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंड दो प्रमुख शेयर बाजार हैं। कुछ कंपनियां दोनों स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होती है और कुछ किसी एक एक्सचेंज पर। शेयर बाजार को स्टॉक एक्सचेंज, स्टॉक मार्केट, इक्विटी मार्केट या सेकंडरी यानी द्वितीयक बाजार भी कहते हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी भारतीय शेयर बाजार का नियामक है।
सेबी की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को हुई थी । सेबी के मूल कामों में प्रतिभूतियों (यानी सिक्यूरिटीज़) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना, प्रतिभूति बाजार (यानी सिक्यूरिटीज़ मार्केट) के विकास का उन्नयन करना तथा उसे विनियमित करना और साथ ही उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना शामिल है।
शेयर क्या होता है?
शेयर क्या होता है? शेयर का सीधा सा अर्थ होता है हिस्सा। शेयर बाजार की भाषा में शेयर का मतलब है कंपनियों में हिस्सा। शेयर को स्टॉक या इक्विटी भी कहते हैं। उदाहरण से शेयर का मतलब समझते हैं।
मान लिया किसी कंपनी ने हमारे और आप जैसे निवेशकों के लिए कुल 12 लाख शेयर बिक्री के लिए जारी किया। आप कंपनी के प्रस्ताव के मुताबिक, जितना हिस्सा या अंश खरीद लेते हैं आपका उस कंपनी में उतने का मालिकाना हक हो जाता है। आप किसी भी दूसरे खरीददार को जब भी चाहें अपना हिस्सा बेच सकते हैं या जब तक चाहें हिस्सा अपने पास रख सकते हैं। आप एक से लेकर अधिकतम जितना चाहे शेयर खरीद सकते हैं।
इसको ऐसे समझिये, जैसे किसी घर का बंटवारा हुआ और उसमें ए, बी और सी नामक शख्स को हिस्सा दिया गया। तो, जिसके हिस्से जितना घर आया, उतने हिस्से का वह मालिक हो गया यानी उतने हिस्से का मालिकाना हक उसे मिल गया और जब चाहे वह उसे बेच सकता है।
शेयर मार्केट से कमाने के लिए क्या करें?
शेयर और शेयर मार्केट के बारे में आपने जाना। अब सोच रहे होंगे कि शेयर मार्केट से कमाने के लिए क्या करें। शेयर बाजार में निवेश शुरू करने के लिए सबसे पहले आपके पास तीन तरह के अकाउंट- ट्रेडिंग अकाउंट, डीमैट अकाउंट और बैंक अकाउंट होना चाहिए। तीनों अकाउंट आपस में जुड़ा होना चाहिए। बैंक अकाउंट किसी बैंक में खुलवाना होगा, जबकि डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट सेबी रजिस्टर्ड शेयर ब्रोकर के यहां खुलवाना होगा। कई शेयर ब्रोकर्स तीनों अकाउंट खोलने की सुविधा देते हैं। तो, ये तीन अकाउंट खुलवाकर कोई भी व्यक्ति शेयर बाजार में निवेश शुरू कर सकता है और पैसे कमा सकता है।
कोई भी व्यक्ति अपने डीमैट अकाउंट के जरिए आईपीओ के लिए आवेदन कर सकता है, शेयरों की खरीद -बिक्री कर सकता है, शेयरों का ट्रांसफर और फिजीकल रूप में पड़े शेयरों को डीमैटेरियलाइज कर सकता है, म्युचुअल फंड्स की खरीद-बिक्री कर सकता है।
डीमैट अकाउंट खोलने के लिए आपको डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट यानी डिपी को अर्जी देनी होगी। एनएसडीएल और सीडीएसएल की वेबसाइट पर मान्यताप्राप्त डीपी की सूची दी हुई है। सेबी की वेबसाइट पर भी यह सूची मिल जाएगी। खाता खुलने के बाद आपको अकाउंट नंबर और डीपी आईडी नंबर मिलेगा।
अपने डीपी के साथ किसी तरह के लेन-देन के लिए आपको दोनों नंबर देने होंगे। आजकल तो डीमैट अकाउंट ऑनलाइन खुल जा रहा है।
शेयर बाजार में कारोबार के लिए आपके पास बैंक सेविंग्स अकाउंट भी होना जरूरी है ताकि शेयरों की बिक्री से मिलने वाली रकम या शेयर खरीदने के लिए पैसों का भुगतान किया जा सके। कंपनियां अपने निवेशकों को डिविडेंड का भुगतान भी उसी बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करती हैं। कई ब्रोकर्स तीनों अकाउंट की सुविधा अपने ग्राहकों को देते हैं।
सिर्फ जरूरी अकाउंट खोल लेने से ही काम नहीं चलेगा। शेयर बाजार में निवेश शुरू करने के लिए आपको अपने ब्रोकर को ऑर्डर प्लेस करना होगा, तभी सही मायने में शेयर बाजार में निवेश शुरू करना माना जाएगा। ऑर्डर प्लेस करना मतलब आप किसी खास शेयर को खरीदना चाहते हैं या बेचना चाहते हैं, उस बारे में ब्रोकर को अवगत कराना। आप ऑनलाइन ऑर्डर प्लेस कर सकते हैं।
शेयर मार्केट से कैसे कमाई होती है?
अब सबसे बड़ा सवाल कि लोग शेयर बाजार से कमाते कैसे कहते हैं? भारतीय शेयर बाजार में एक ही दिन में बाजार कीमत पर सस्ते में शेयर खरीदकर उसे बाजार बंद होने से पहले महंगा में बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। मान लिया कि आपने किसी शेयर को रु. 150 प्रति शेयर के हिसाब से खरीदा और उसे रु.170 प्रति शेयर के हिसाब से बेच दिया। तो, रु.20 प्रति शेयर आपकी कमाई होती है। हालांकि, शेयर ब्रोकर इस रु. 20 में से कुछ पैसे अलग अलग शुल्क, टैक्स, चार्ज के रूप में काट लेता है।
आप स्कालपिंग ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग, पॉजिशनल या लांग ट्रेडिंग के अलावा फ्यूचर और ऑप्शंस के जरिये भी शेयर बाजार से कमाई के मौके हैं। स्कालपिंग ट्रेडिंग एक तरह से इंट्राडे ट्रेडिंग का ही प्रकार है। इसमें कोई निवेशक एक ही दिन मं 15 या 30 मिनट से लेकर एक घंटे में किसी शेयर को खरीदकर बेच देता है। स्विंग ट्रेडिंग में कोई भी निवेशक किसी शेयर को खरीदकर उसे एक सप्ताह से लेकर एक महीने तक अपने पास रखकर उसे बेच देता है।
पोजीशनल ट्रेडिंग के तहत कोई भी निवेशक शेयर खरीदकर उसे 6 महीने से लेकर साल भर या 5 साल तक अपने पास रखकर उसे अपने सही समय के मुताबिक बेच देता है। पोजीशनल ट्रेडिंग को ही लांग टर्म ट्रेडिंग कहते हैं। शेयर बाजार से अमीर बनने वाले निवेशक ज्यादातर इस स्ट्रैटिजी का इस्तेमाल करते हैं।
सभी फॉर्मेट के अलग अलग नफा-नुकसान है। सभी फॉर्मेट अलग अलग वित्तीय लक्ष्य और अलग अलग तरह के रिस्क प्रोफाइल वाले लोगों के लिए है। इसलिए किसी भी फॉर्मेट को अपनाने से पहले अपना वित्तीय लक्ष्य और रिस्क प्रोफाइल जानना बहुत ही जरूरी है।
भारतीय शेयर बाजार का खुलने और बंद होने का समय
भारतीय शेयर बाजार हर कामकाजी दिन सुबह 9.15 बजे खुलता है और 3,30 बजे बंद हो जाता है। भारतीय शेयर बाजार में प्री-ओपन सेशन भी होता है। यह सुबह 9 बजे से 9.15 बजे तक 15 मिनट तक होता है। शनिवार, रविवार और पूर्व निर्धारित सार्वजनिक अवकाश के मौके पर शेयर बाजार बंद रहता है।
शेयर बाजार में क्या करें, क्या ना करें
सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। यह हर जगह लागू होता है। कहीं पर भी लापरवाही करेंगे तो नुकसान से बचना मुश्किल है। आप कहीं जा रहे हैं या फिर कहीं पैसा निवेश कर रहे हैं, सावधानी जरूर बरतनी चाहिए। यहां हम बताने जा रहे हैं कि अगर आप शेयर बाजार में पैसे लगाने जा रहे हैं तो आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
>शेयर बाजार में पैसे लगाते समय क्या ना करें:
1) गैर-पंजीकृत ब्रोकर/ब्रोकर / बिचौलिये (दलाल) के साथ कारोबार ना करें
2)‘अफवाहों ‘, जिन्हें आम तौर पर ‘टिप्स‘ कहा जाता है, के आधार पर कारोबार ना करें
3) गारंटीशुदा रिटर्न के वायदों के बहकावे में ना आएं
4) सरकारी संस्थाओं से मंजूरी/पंजीकरण दर्शाने वाली कंपनियों द्वारा गुमराह ना हों क्योंकि मंजूरियां अन्य उद्देश्यों के लिए हो सकती हैं, उन प्रतिभूतियों के लिए नहीं जो आप खरीद रहे हैं
5) किसी मध्यस्थ के हाथ में अपने डीमैट कारोबार की रसीद बुक नहीं दें
6) प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन के बारे में विज्ञापनबाजी के बहकावे में ना आएं
7) कॉर्पोरेट गतिविधियों पर मीडिया की खबरों पर आंखे मूंदकर विश्वास ना करें, क्योंकि वह गुमराह करने वाले भी हो सकती हैं
8) निवेश का फैसला लेते समय आंखे मूंदकर उन अन्य निवेशकों की नकल नहीं करें, जिन्होंने अपने निवेश से मुनाफा कमाया है
> शेयर बाजार में पैसे लगाते समय क्या करें:
1) हमेशा सेबी/एक्सचेंज में पंजीकृत ब्रोकर/संस्थाओं के साथ संबंध रखें
2) अपने ब्रोकर/एजेंट/डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट को स्पष्ट निर्देश दें
3) हमेशा ब्रोकर से अनुबंध (कांट्रेक्ट) कागजात ले लें। सौदों के बारे में संदेह होने पर, एक्सचेंज की वेबसाइट पर उसकी वास्तविकता की पुष्टि करें
4) बाजार मध्यस्थियों के बकाया भुगतान हमेशा सामान्य बैंकिंग माध्यमों से करें
5) कृपया यह जान लें कि शेयर बाजार में निवेश पर कोई गारंटीशुदा रिटर्न/प्रतिफल नहीं होता
6) बाजार मध्यस्थियों को कोई आदेश जारी करने से पहले कंपनी, उसके प्रबंधन,फंडामेंटल्स और उनके द्वारा की गई हालिया घोषणाओं, विभिन्न नियमों के तहत किए गए विभिन्न खुलासों की जांच परख कर लें। जानकारी के स्रोत- एक्सचेंज एवं कंपनियों की वेबसाइट, व्यवसायिक पत्रिकाएं आदि
7) कारोबार/ निवेश नीति अपनाते समय जोखिम उठाने की अपनी क्षमता का ख्याल रखें, क्योंकि सभी निवेशों में जोखिम रहती है, उसकी मात्रा अलग-अलग होती है जो अपनाई गई निवेश नीति पर निर्भर करती है
8) किसी भी मध्यस्थी का ग्राहक बनने से पूर्व पूरी सावधानी बरतें। इसके अलावा निवेशकों से अनुरोध किया जाता है कि वह ‘रिस्क डिस्क्लोजर डॉक्यूमेंट‘ यानी जोखिम का खुलासा करने वाला दस्तावेज ध्यान से पढ़ें, जो शेयर बाजार में ब्रोकर के जरिये कारोबार करने वाले निवेशकों की आधारभूत आवश्यकताओं का एक हिस्सा है
9) उन शेयरों के प्रति सावधानी भरा रुख अपनाएं, जिनकी कीमत या कारोबार में अचानक उछाल आए, खासकर कम कीमत वाले स्टॉक के प्रति
>शेयर बाजार निवेशक को मिले अधिकार:
1) कंपनी से जानकारी हासिल करना
2) कंपनी की तरफ से कंपनी में होल्डिंग का ट्रांसफर, विभाजन और एकत्रीकरण जैसी जानकारी लेना
3) कंपनी द्वारा राइट निर्गम जारी करने पर शेयरधारकों के अधिकार जानना
4) कांट्रैक्ट भाव के 2.5% से अधिक दलाली शेयर दलाल (स्टॉक ब्रोकर) नहीं ले सकते हैं
5) शेयर दलाल से खास स्वरूप में मिले कांट्रैक्ट नोट में सौदे के भाव और शेयर दलाली अलग से दर्शानी पड़ती है
6) निवेशकों को निपटान अवधि के बाद अधिक से अधिक अगले कार्यकारी दिन ही उसे खरीदे शेयरों की डिलीवरी या बेचे गए शेयरों की कीमत मिल जानी चाहिए
7) शेयर दलाल के साथ विवाद के मामले में एक्सचेंज की आर्बिट्रेशन सुविधा मिलना
8) लिस्टेड कंपनियों/ शेयर दलालों के खिलाफ आप सेबी, बीएसई या एनएसई में लिखित शिकायत कर सकते हैं।
इस तरह से इस लेख में आपको भारतीय शेयर बाजार की मूलभूत बातों के बारे में जानकारी दी गई है।
अस्वीकरण: इस लेख का उद्देश्य जानकारी देना है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमभरा होता है। शेयर बाजार में निवेश का फैसला खुद करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार की मदद लें।